सोमवार, 12 अक्टूबर 2015

कौन कहता है कि महँगाई है

कौन कहता है कि महँगाई है
लोगों के तन पे चमाचम
जेवरों की रौनक छायी है 🎎
धोती कुर्ता छोड़ भर-भर,
कपड़ो से अलमारी भर आई है 👗👖

कौन कहता है कि महँगाई है
चाल चलन छोड़, चलाचल
नित नव गाड़ियों की चढ़ाई है🚄🚗
मिसी रोटी भुल घर-घर 
पिज़्ज़ा बर्गर नूडल्स के हलवाई है 🗿

कौन कहता है कि महँगाई है
मुल्तानी मिट्टी छोड़,
फेयर एंड लवली मनभाई है 💄👛
माँ बाप व् जीवन साथी भुल
कुत्तो के संग अब होती घुमाई है 😼

कौन कहता है कि महँगाई है
सभ्यता होती चर चर 
अब कई बन बैठे घर जवाईं है 😜
कौन कहता है कि महँगाई है

मैं खो भी जाता


मैं खो भी जाता गैर चेहरों में,अगर भुल पाता,
सजनी की उड़ती जुल्फों की लहरों को,
संगम की वो रातें और सात फेरों को !

मैं खो भी जाता गैर चेहरों में,
अगर भुल पाता,
वो लहरियाँ आँचल के घेरों को
नित चोखट पर मेरे लिए पहरो को !

मैं खो भी जाता गैर चेहरों में,

अगर भुल पाता, तेरे नटखट चेहरों को !