मैं खो भी जाता गैर चेहरों में,अगर भुल पाता,
सजनी की उड़ती जुल्फों की लहरों को,
संगम की वो रातें और सात फेरों को !
मैं खो भी जाता गैर चेहरों में,
अगर भुल पाता,
वो लहरियाँ आँचल के घेरों को
नित चोखट पर मेरे लिए पहरो को !
मैं खो भी जाता गैर चेहरों में,
अगर भुल पाता, तेरे नटखट चेहरों को !
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