बहुत कुछ करने को चाहता मन,
ईश्वर ने दिया है अच्छा खासा तन,
भूल से, नहीं दिया है उसने धन !
हमने कर ली थी मुश्किल से बी ए,
फिर भी कहते लोग, तुम क्या किये,
न चले आजकल इंजिनियर, सी ए !
भटकने लगे जगह-जगह डिग्री लिए,
पर, नौकरी के बदले मांगते सब रुपये,
चींता होने लगी, जिए तो कैसे जिए !
बीना नौकरी क्या खाए, क्या पिए,
कहा से लाये रिश्वत के लिए रुपये,
ईश्वर के आगे लम्बे हाथ जोड़ दिए !
पुराना यार मिला, ब्याज पर उधार लिए,
कॉलेज लेक्चरार पद पर अर्जी भर दिए,
और प्रिंसिपल सनमुख कुछ रुपये कर दिए !
खुश होकर, वो फट से हामी भर दिए,
कल से आ जाना कहकर विदा कर दिए,
सजकर दुसरे दिन हम कॉलेज पहुँच गए !
जाते ही प्रिंसिपल ने रुपये वापस धर दिए,
कहा, क्षमा करे आप कॉलेज के अब न रहे,
"इन" साहब ने आपसे ज्यादा हा दिए !
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