शनिवार, 19 नवंबर 2011

"एक बी ए"




बहुत कुछ करने को चाहता मन,

ईश्वर ने दिया है अच्छा खासा तन,

भूल से, नहीं दिया है उसने धन !



हमने कर ली थी मुश्किल से बी ए,

फिर भी कहते लोग, तुम क्या किये,

न चले आजकल इंजिनियर, सी ए !



भटकने लगे जगह-जगह डिग्री लिए,

पर, नौकरी के बदले मांगते सब रुपये,

चींता होने लगी, जिए तो कैसे जिए !



बीना नौकरी क्या खाए, क्या पिए,

कहा से लाये रिश्वत के लिए रुपये,

ईश्वर के आगे लम्बे हाथ जोड़ दिए !



पुराना यार मिला, ब्याज पर उधार लिए,

कॉलेज लेक्चरार पद पर अर्जी भर दिए,

और प्रिंसिपल सनमुख कुछ रुपये कर दिए !



खुश होकर, वो फट से हामी भर दिए,

कल से आ जाना कहकर विदा कर दिए,

सजकर दुसरे दिन हम कॉलेज पहुँच गए !



जाते ही प्रिंसिपल ने रुपये वापस धर दिए,

कहा, क्षमा करे आप कॉलेज के अब न रहे,

"इन" साहब ने आपसे ज्यादा हा दिए !







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