शनिवार, 5 नवंबर 2011

गाय माँ

गाय माँ गौ अष्टमी पर विशेष रचना

खाकर घास, देती दूध ख़ास
क्रष्ण प्यारी, तन देवो का वास
गौमूत्र करे व्याधियों का नाश
गोबर से बने मानव निवास !
फिर भी कुछ लोग है बदमाश,
माता को काटे खाने मांस,
गौं को ज्यादा नहीं तुमसे आस,
बस तुम बुझालो मांसहारी प्यास,
और करो गौधन की रक्षा ख़ास !
तुम देदो जो है तुम्हारे पास
बनावो भारत को गौधन वास
फिर से क्रष्ण-गोपियाँ रचाए रास
कल्पना नहीं सच्ची आनंदमय आस !

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