पंख होते तो, नभ की और उड़ जाता,
विष्णु से चक्र मांग लाता !
कर वार दुष्टों पर, करता उन्हें भीर,
कहलाता में नव युग का एक वीर !
पंख होते तो, नभ की और उड़ जाता,
शिव से कमंडल मांग लाता !
हर पीड़ित का रोग मिटा कर,
कहलाता में महान डॉक्टर !
पंख होते तो, नभ की और उड़ जाता,
ब्रह्मा से रचना विधी मांग लाता !
कलयुगी मानव को पशु बनाता,
ब्रह्मा को पल में अचंभित कर डालता !
पंख होते तो, नभ की और उड़ जाता,
गणपति से अपनी तक़दीर पूछ आता !
छोटी हाथ लकीरे, हो जाती बड़ी तक़दीर,
हर जगह, हर और, छपती मेरी तस्वीर !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें