रविवार, 1 जून 2014

सपने


मन में रंग बिरंगे सपने,

कई अपनों के, कई अपने,

पूर्णता की आशा से परे,


नन्हे मन में घरोंदा करे !


जैसे ही तारे लेके आती रात,

गुपचुप मन से करते बात,

मन लेके सुख दुःख का बोझ,

समाके रखता इनको रोज !

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