शनिवार, 13 जुलाई 2013

जब-तब-अब भारत




जब तूफ़ान अंग्रेज शासन का आया,
तब एक हो भारतीयों ने उसे भगाया,
अब बढ़ता पश्चिमी संस्कृति का साया,
इसे अपनाते रति भर भी मन ना डगमगाया !

तब संत होते जन, समाये निर्मल काया,


धर्म-कर्म बचाने हमने गीता रचाया,
अब हर डगर संत-फकीरों ने धंधा जमाया,
बनके बाबा निर्मल, संस्कारों का गला दबाया !

तब सोना उगलती धरा, देश था हरियाली समाया,
जय जवान-जय किसान बोल, लाल ने और चमकाया,
अब जहर भरी गलियां, देश का खोखला होता पाया,
लगता है हमने अपने मानव मन को जिन्दा दफनाया !!!!

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