जब तूफ़ान अंग्रेज शासन का आया,
तब एक हो भारतीयों ने उसे भगाया,
अब बढ़ता पश्चिमी संस्कृति का साया,
इसे अपनाते रति भर भी मन ना डगमगाया !
तब संत होते जन, समाये निर्मल काया,
धर्म-कर्म बचाने हमने गीता रचाया,
अब हर डगर संत-फकीरों ने धंधा जमाया,
बनके बाबा निर्मल, संस्कारों का गला दबाया !
तब सोना उगलती धरा, देश था हरियाली समाया,
जय जवान-जय किसान बोल, लाल ने और चमकाया,
अब जहर भरी गलियां, देश का खोखला होता पाया,
लगता है हमने अपने मानव मन को जिन्दा दफनाया !!!!
जब तूफ़ान अंग्रेज शासन का आया,
तब एक हो भारतीयों ने उसे भगाया,
अब बढ़ता पश्चिमी संस्कृति का साया,
इसे अपनाते रति भर भी मन ना डगमगाया !
तब संत होते जन, समाये निर्मल काया,
धर्म-कर्म बचाने हमने गीता रचाया,
अब हर डगर संत-फकीरों ने धंधा जमाया,
बनके बाबा निर्मल, संस्कारों का गला दबाया !
तब सोना उगलती धरा, देश था हरियाली समाया,
जय जवान-जय किसान बोल, लाल ने और चमकाया,
अब जहर भरी गलियां, देश का खोखला होता पाया,
लगता है हमने अपने मानव मन को जिन्दा दफनाया !!!!
तब एक हो भारतीयों ने उसे भगाया,
अब बढ़ता पश्चिमी संस्कृति का साया,
इसे अपनाते रति भर भी मन ना डगमगाया !
तब संत होते जन, समाये निर्मल काया,
धर्म-कर्म बचाने हमने गीता रचाया,
अब हर डगर संत-फकीरों ने धंधा जमाया,
बनके बाबा निर्मल, संस्कारों का गला दबाया !
तब सोना उगलती धरा, देश था हरियाली समाया,
जय जवान-जय किसान बोल, लाल ने और चमकाया,
अब जहर भरी गलियां, देश का खोखला होता पाया,
लगता है हमने अपने मानव मन को जिन्दा दफनाया !!!!
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