गाय माँ को बचाना है, तो भइया ये लागे बवाल है !
यहाँ तो बाघों की, कम होती गिनती का सवाल है !!
मांस खाने वालों में, बाघ मारने का साहस न देखा है !
तभी तो पापियों को, गाय को मारने का खयाल है !!
गधे, कुत्ते, बकरे, भेड़ खाने से तुम्हे कब रोका है !
या फिर इनको खा खाकर, तुम्हारे हाल बेहाल है !!
बाघ बचावों, कुत्ते पालो, ऐसे नारो को सुना व् देखा है !
तो फिर, गाय बचानी है नारे से क्यों मलाल है !!
जब हर मर्द में किसीने कभी पति ना चाहा व् देखा है !
तो फिर, हर पशु को गाय से आंकना, संस्कारों का हलाल है !!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें