"तुम" पर कुछ
पंक्तियाँ

तुम मंच पर नहीं
----मन में बरसो !
तुम जन पर नहीं
----जंग में गरजो !
तुम चित्र में नहीं
-----चरित्र में सजों !
तुम काया पे नहीं
--मन की माया पर हर्षो !
तुम तस्वीर को नहीं,
----तक़दीर को तरसो !
तुम मोह-माया में नहीं
--आनन्द की छाया में
बसो !!
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