आपका वैलेंटाइन ?



फिर से ये वैलेंटाइन की आहट,
और है तैयार झूठी-ऐंठी मुस्कुराहट,
होंगे "मुस्कान" के कई वार,
सजग रहना ए दोस्त दिलदार,
कई हो ना जावों तुम शिकार !
उस दिन का कैसा त्यौहार,
जिस दिन मारा गया वैलेंटाइन,
जो करता था छुप के प्यार का प्रचार,
पश्चिमी संस्कृती दो धारी तलवार,
फिर दिखेगी मिथ्या प्यार की लार,
ए सखा, ए मीत, ए स्नेही, ए यार,
कई हो ना जावों तुम शिकार !!!!
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें