#55th poem-Dedicated to all #Women on International Women Day. #नारी शक्ति को समर्पित चंद पंक्तियाँ ! विनती कृपया सभी कड़ियाँ पढ़े ! Request to read all stanzas -
नारी के कोख से जन्म लेने वाला,
नर कौन है ?
नारियों को सशक्त करनेवाला,
जब इन्ही के हाथो में है अगला,
शिवाजी व् प्रताप पलनेवाला,
और इन्ही के हाथो में,
राम व् कृष्ण झुलनेवाला !
देखो पहले से ही सशक्त है नारी,
दुर्गा का रूप हर राक्षस पर भारी,
सरस्वती से ज्ञान पाये उर्वी सारी,
लक्ष्मी के आगे सबने औकात हारी,
'लता' मधुर कंठ कोकिला हमारी,
है खगोलयात्री की 'कल्पना' न्यारी,
साइना व् सानिया का खेल अब भी जारी,
सुष्मिता, ऐश्वर्या तो दुनिया की प्यारी,
देखो पहले से सशक्त है नारी !
नभ का नाम जब पुरुष ने धरा,
तो #रमणी ने लेली वसुंधरा,
गिरी का नाम जब पुरुष ने धरा,
तो #कामिनी ने बनाली नदियों की धारा,
सूरज का ताप पुरुष ने धरा,
तो #कान्ता ने अपने में चांदनी को भरा !
कह रहा #मंजुषा का लाल #आनंद तारा,
शायद पुरुष को ही ना मिले #किनारा,
समुन्द्र रूपी इस जीवन का,
बिना लिए स्त्री रूपी कस्ती का सहारा,
माँ के हाथ बिना खाना लगे खारा-खारा,
प्रियतम के बिना जीवन लगे हारा-हारा !!!!!
आनंद दाधीच "मंजुषा" (बैंगलोर)
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