कौन कहता है कि महँगाई है
लोगों के तन पे चमाचम
जेवरों की रौनक छायी है 
धोती कुर्ता छोड़ भर-भर,
कपड़ो से अलमारी भर आई है 

कौन कहता है कि महँगाई है
चाल चलन छोड़, चलाचल
नित नव गाड़ियों की चढ़ाई है

मिसी रोटी भुल घर-घर
पिज़्ज़ा बर्गर नूडल्स के हलवाई है 
कौन कहता है कि महँगाई है
मुल्तानी मिट्टी छोड़,
फेयर एंड लवली मनभाई है 

माँ बाप व् जीवन साथी भुल
कुत्तो के संग अब होती घुमाई है 
कौन कहता है कि महँगाई है
सभ्यता होती चर चर
अब कई बन बैठे घर जवाईं है 
कौन कहता है कि महँगाई है
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