गुरुवार, 26 जनवरी 2012

शहर या गाँव ?

गाँव में रहे सब मस्तमोला
शहर में सब आग का गोला !
गाँव की भोर दिखे नाचते मोर
शहर में गुड मोर्निंग का शोर !
गाँव में खेतो की सुहानी लहर
शहर बरपाए गंदगी का जहर !
गाँव की गुड रोटी, हलवे की टक्कर
देंगे शहर के टोस्ट , ब्रेड, बटर ?
गाँव में बसे परिवार में जान
शहर में रहे पत्नी से भी अनजान !
अठारह या अस्सी गाँव में लगे जवान
शहर में गैस, कब्ज़ आदि से परेशान !
गाँव में उठते बैठते सुने राम का नाम
शहर में सुनाये सब अपने ही काम !
गाँव में सुने भजन, सत्संग, दान
शहर में मुख में रखे सब जाम !
क्या अच्छा, क्या बुरा रखे पहचान
आनंद तो वही, जहाँ स्वच्छ भारत महान !

रविवार, 1 जनवरी 2012

"चले थे कमाने"

निकले थे गाँव से कमाने परदेश,

मैला थैला, पहना था पुराना वेश !

मेहनत के बाद हो गए थे फ़ैल,

बापू ने चढ़ा दिया कमाने रेल !

उतरा दिल्ली करके ऊपर केश,

वाह रे, देखे तरह तरह के वेश !

पूछा पता, मांग लिए रूपये दस,

और कहा, जाती वहां नौ न.बस !

चढ़ गए बस, बैठे कस कर थैला,

नींद आ गयी लगते लगते रैला !

चोरो ने मार लिए नींद में पैसे,

पैसे तो गायब,जायेंगे घर अब कैसे !

जैसे तैसे सारा रास्ता किया पार,

सुनाया रिश्तेदारों को सफ़र का सार !

लग गयी नौकरी, सेठ का बड़ा कारोबार,

पर हमें कुछ न आता, मिलते रूपये हज़ार !

आठ महीने दर्द से कर दिए पार,

फिर याद आने लगे गावं के यार !

आठ महीने में, रूपये बचा लिए थे पुरे हज़ार,

ख़रीदे कुछ कपडे, किया गावं का विचार !

पुहुँचे गावं, माँ ने किया ढेर सा प्यार,

बापू ने पूछा कुछ कमाया या था बेकार !

हमने कहा वहां रूपये मिलते थे हज़ार,

मैंने सोचा, इससे अच्छा करेंगे खेती

......आनंद से काटेंगे सुखी संसार !