आईये करे बात भक्ति की, जाने विचार,
अनेक विशलेषण हुवे पर है मुख्य चार,
तामस, राजस, सात्विक, निर्गुण है प्रकार !
पहले जानिये तामस भक्ति का सार,
वो भक्ति जिसमे दिखावा और अहंकार,
उदेश्य दूजे को पीड़ा, करना वचनों से वार !
राजस में सिर्फ अपनी भलाई अपार,
करोडो खर्च करे, शोभनिये देव श्रृंगार,
पर चित शुद्ध नहीं, अपनेपन से लाचार !
सात्विक में न अपनापन, न अहंकार,
पर पाप-पुण्य का लेखा करना पार,
इसलिए करे देवो को सत-सत नमस्कार !
निर्गुण भक्ति का सबसे ऊँचा है प्रकार,
न बुराई, न इच्छाये, न पाप-पुण्य का भार,
श्री राम-नाम चित बसे, मिले जीवन आधार !
अनेक विशलेषण हुवे पर है मुख्य चार,
तामस, राजस, सात्विक, निर्गुण है प्रकार !
पहले जानिये तामस भक्ति का सार,
वो भक्ति जिसमे दिखावा और अहंकार,
उदेश्य दूजे को पीड़ा, करना वचनों से वार !
राजस में सिर्फ अपनी भलाई अपार,
करोडो खर्च करे, शोभनिये देव श्रृंगार,
पर चित शुद्ध नहीं, अपनेपन से लाचार !
सात्विक में न अपनापन, न अहंकार,
पर पाप-पुण्य का लेखा करना पार,
इसलिए करे देवो को सत-सत नमस्कार !
निर्गुण भक्ति का सबसे ऊँचा है प्रकार,
न बुराई, न इच्छाये, न पाप-पुण्य का भार,
श्री राम-नाम चित बसे, मिले जीवन आधार !