रविवार, 26 फ़रवरी 2012

भक्ति के प्रकार

आईये करे बात भक्ति की, जाने विचार,
अनेक विशलेषण हुवे पर है मुख्य चार,
तामस, राजस, सात्विक, निर्गुण है प्रकार !

पहले जानिये तामस भक्ति का सार,
वो भक्ति जिसमे दिखावा और अहंकार,
उदेश्य दूजे को पीड़ा, करना वचनों से वार !

राजस में सिर्फ अपनी भलाई अपार,
करोडो खर्च करे, शोभनिये देव श्रृंगार,
पर चित शुद्ध नहीं, अपनेपन से लाचार !

सात्विक में न अपनापन, न अहंकार,
पर पाप-पुण्य का लेखा करना पार,
इसलिए करे देवो को सत-सत नमस्कार !

निर्गुण भक्ति का सबसे ऊँचा है प्रकार,
न बुराई, न इच्छाये, न पाप-पुण्य का भार,
श्री राम-नाम चित बसे, मिले जीवन आधार !

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

"बी कॉम "


उसने पास करली थी बी कॉम
करना था अब कोई शुभ काम
चढ़ गया सर कमाने का गान !

काटे थोड़े दिन गाँव में और
फिर चढ़ गया सिटी बेंगलौर
भटका सिटी का हर छोर
कही पाता "वेकेंसी नो मोर"
कही पूछते आता है 'कंप्यूटर'
नहीं तो तुम 'डू नोट एन्टर'
कही पूछते आती है अंग्रेजी
नहीं तो 'ये लो तुम्हारी अर्जी' !

हो गया भटक भटक कर परेशान
सुनाया अपने यार को पूरा गान
तमन्ना थी मिले अफसरी काम
नहीं तो होगा गाँव जाकर बदनाम
यार ने कहा, पकड़ ले कोई भी काम
मिल जायेंगे रूपये हज़ार-दो हज़ार
नहीं तो भटक कर हो जायेगा बीमार
रहना पड़ेगा फिर जिंदगी भर बेकार !!