आज का समाज। आज के बदलते समाज और लोगो के बारे में सब आये दिन पढ़ते और हाँ देखते भी है उसी पर कुछ पंक्त्तियां।
है जो आज का भारतीय समाज,
समझ से परे इसका मिज़ाज !
संस्कृति पर बढ़ती छाया काली,
शिक्षा पर छार्इ पश्चिमी प्रणाली !
हुवा स्वार्थी जीवन और व्यवहार
मुल्येविहीन हुवे आचार और विचार !
ईमानदारी छोड़ भ्रष्ट आय का अंधार्जन,
प्रभु दर्शन छोड़, गंदे नाच गाने का दर्शन !
अब भटकती संस्कृति का मात्र विस्मरण,
कहाँ है श्रवण, प्रहलाद और दानवीर कर्ण !
है जो आज का भारतीय समाज,
समझ से परे इसका मिज़ाज !
संस्कृति पर बढ़ती छाया काली,
शिक्षा पर छार्इ पश्चिमी प्रणाली !
हुवा स्वार्थी जीवन और व्यवहार
मुल्येविहीन हुवे आचार और विचार !
ईमानदारी छोड़ भ्रष्ट आय का अंधार्जन,
प्रभु दर्शन छोड़, गंदे नाच गाने का दर्शन !
अब भटकती संस्कृति का मात्र विस्मरण,
कहाँ है श्रवण, प्रहलाद और दानवीर कर्ण !