शनिवार, 17 दिसंबर 2011

"अमीरों ने रिश्वत रिवाज़ है चलाया"


अरे देखो भारत में क्या युग आया ?
फैली हर और धन की गन्दी माया,
और, रिश्वत खोरी की काली छाया !

अगर बेटे का पढने को मन यदि है भाया,
अवल नंबर नहीं, बस काम करेगी माया
ज्यादा नहीं, लाख दो लाख जाता है खाया
और, साल भर रहोगे गुरु को मन भाया !

हां , ताऊ थे गरीब बुखार उन्हें चढ़ आया,
घरवालो ने सरकारी अस्पताल दिखवाया,
डॉक्टर ने झट से हज़ार का परचा थमाया,
कहा, यहा सब मुफ्त है, ये देख-रेख का बकाया !

और, पक्के लेखाकार थे हमारे राज राजराया ,
अचानक उन्हें बिक्री कर अधिकारी से काम आया,
जल्दी में थे, सो काम उसे फटाफट बतलाया,
लगेंगे दिन चार, जल्दी है तो ऊपर के हज़ार फरमाया !

चन्द अमीरों ने रिश्वत रिवाज़ है चलाया,
हर छेत्र में रिश्वतखोरी ने पैर जमाया,
खिलाफ इसके बोलने अगर कोई आया,
सुना है, जाता है वो जिन्दा दफनाया ,
इसलिए, सौ करोड़ में एक फी योद्धा न आया !

गुरुवार, 1 दिसंबर 2011

"नेता बन गया"


मेरा एक दोस्त मिला, मैंने पुछा तू नेता कैसे बन गया,
उसने 'हाई' कहा और पूरी कहानी यूँ जल्दी बोल गया!
पढाई बहुत की, फिर भी आठवी फ़ैल हो गया,
पिटाई घरवालो ने की, कक्षा से नाम कट गया !
गली में गुल्छरे की, गली दादा बनता गया,
एक बार हुई लड़ाई, मार खाकर घर गया !
माँ बाप ने देख हाल, तुरंत सामान पैक किया,
आठ अगस्त को कमाने शहर विदा किया!

नौकरी मीली, जहाँ फलो की टोकरी ढोता रहा,
आठ महीने गुलामी की फिर एक हादसा हुआ !
अचानक फलो के गोदामों में कीड़ा लग गया,
साथी नौकरों को "फल-रुआ" नामक रोग लग गया !
मैंने "फल-रुआ" से बचावो सेठ के सामने नारा दिया,
दो तीन बार सरकारी दफ्तरों पर धरना दिया !
धीरे-धीरे यह अभियान आन्दोलन बन गया,
शहरो में "फल-रुआ' से बचावो नारा गूंज गया !
एक पार्टी ने मुझे सौदा करने को आमंत्रित किया,
मैंने सफ़ेद कुर्ता सिलवाया और "नेता बन गया" !