अरे देखो भारत में क्या युग आया ?
फैली हर और धन की गन्दी माया,
और, रिश्वत खोरी की काली छाया !
अगर बेटे का पढने को मन यदि है भाया,
अवल नंबर नहीं, बस काम करेगी माया
ज्यादा नहीं, लाख दो लाख जाता है खाया
और, साल भर रहोगे गुरु को मन भाया !
हां , ताऊ थे गरीब बुखार उन्हें चढ़ आया,
घरवालो ने सरकारी अस्पताल दिखवाया,
डॉक्टर ने झट से हज़ार का परचा थमाया,
कहा, यहा सब मुफ्त है, ये देख-रेख का बकाया !
और, पक्के लेखाकार थे हमारे राज राजराया ,
अचानक उन्हें बिक्री कर अधिकारी से काम आया,
जल्दी में थे, सो काम उसे फटाफट बतलाया,
लगेंगे दिन चार, जल्दी है तो ऊपर के हज़ार फरमाया !
चन्द अमीरों ने रिश्वत रिवाज़ है चलाया,
हर छेत्र में रिश्वतखोरी ने पैर जमाया,
खिलाफ इसके बोलने अगर कोई आया,
सुना है, जाता है वो जिन्दा दफनाया ,
इसलिए, सौ करोड़ में एक फी योद्धा न आया !