निकले थे गाँव से कमाने परदेश,
मैला थैला, पहना था पुराना वेश !
मेहनत के बाद हो गए थे फ़ैल,
बापू ने चढ़ा दिया कमाने रेल !
उतरा दिल्ली करके ऊपर केश,
वाह रे, देखे तरह तरह के वेश !
पूछा पता, मांग लिए रूपये दस,
और कहा, जाती वहां नौ न.बस !
चढ़ गए बस, बैठे कस कर थैला,
नींद आ गयी लगते लगते रैला !
चोरो ने मार लिए नींद में पैसे,
पैसे तो गायब,जायेंगे घर अब कैसे !
जैसे तैसे सारा रास्ता किया पार,
सुनाया रिश्तेदारों को सफ़र का सार !
लग गयी नौकरी, सेठ का बड़ा कारोबार,
पर हमें कुछ न आता, मिलते रूपये हज़ार !
आठ महीने दर्द से कर दिए पार,
फिर याद आने लगे गावं के यार !
आठ महीने में, रूपये बचा लिए थे पुरे हज़ार,
ख़रीदे कुछ कपडे, किया गावं का विचार !
पुहुँचे गावं, माँ ने किया ढेर सा प्यार,
बापू ने पूछा कुछ कमाया या था बेकार !
हमने कहा वहां रूपये मिलते थे हज़ार,
मैंने सोचा, इससे अच्छा करेंगे खेती
......आनंद से काटेंगे सुखी संसार !
Kay Baat Hai Very Nice
जवाब देंहटाएं