प्रेरक माता और पीता श्री हरीप्रसाद एवं श्रीमति मंजूदेवी दाधीच को समर्पित ! अनुरोध- आओ हिन्दी भाषा को तकनीकी युग मे बढ़ाए !
रविवार, 19 अगस्त 2012
मंगलवार, 14 अगस्त 2012
आपको आजादी की शुभकामनाएँ
मै भारत आजाद, आनंद बताएँ
आपको आजादी की शुभकामानाएँ !
महंगाई की फेलती बलशाली भुजाएँ,
भूख-कुपोषण की विकराल निघाएँ,
आपको आजादी की शुभकामानाएँ !
कश्मीर पर निश-दिन सुने धाएँ-धाएँ,
आतंकी खुशियों की काटे सजाएँ,
शनिवार, 4 अगस्त 2012
"इंसान पर सितम "
दक्षिण भारत राष्ट्रमात- बेंगलौर में प्रकाशित 22-07-12
कुंठित है आनंद मन, उठे दिल में गम,
देख इंसान का इंसान पर सितम !
रौंदे पेड़ो को और करे प्राणवायु कम ,
पर पेड़ बचावो अभियान चलाये हम,
नदियों में पानी और कूड़ा हुवा एक सम,
पर चलाये वाटर फिल्टर का सिस्टम,
देख इंसान का इंसान पर सितम !
तबाह करे दुनिया बनाके अस्त्र और बम,
उठ जा प्यारे !
यह पंक्तियाँ आजकल देरी से उठने की आदत दर्शाती हुई सबसे जल्दी उठकर सुन्दर वातावरण का आनंद उठाने को ललचाने का प्रयास है !
यह कविता "शब्द" गोष्ठी के मंच पर प्रस्तुत की गयी ! शब्द गोष्ठी श्रीमती सरोजा व्यास का एक सफल प्रयास है जो रचनाकारों को विशेष स्थान देता है !
अँधेरा दूर करके निकल आया भास्कर,
रजनी के भूप मयंक को छोड़कर,
सुरसरी पर अपनी किरणे बिखेर कर,
कौमुदी फैला मानो कर रहा है समर,
अरे ! हरी, तुरंग, कैकी, भर्मर,
अब तो देखो अपने चक्षु खोलकर !
शुक्रवार, 3 अगस्त 2012
मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े !
मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े,
कही भोज में नित रसगुल्ले, कही सूखे टुकड़े,
कही राम-भरत सा प्रेम, कही विभीषण रावन से उखड़े,
कही विंद्ये हिमाचल वादियाँ, कही धरा के रुहु उखड़े,
कही पतित करने गंगा बहे, कही नालो से नदियाँ उजड़े !
मै एक भारत और मेरे कई मुखड़े !
कही संस्कृति का तन पे श्रृंगार, कही तंग कपड़े,
सदस्यता लें
संदेश (Atom)