प्रेरक माता और पीता श्री हरीप्रसाद एवं श्रीमति मंजूदेवी दाधीच को समर्पित ! अनुरोध- आओ हिन्दी भाषा को तकनीकी युग मे बढ़ाए !
गुरुवार, 20 दिसंबर 2012
दधीची
हमारे पोषक दधीची हुवे प्रथम देह्दानी,
फिर हमें अपनी ही क्षमता क्यों छुपानी ?
अब ये बात हमें पुरे जहाँ में पहुंचानी,
बढे कदम और सुने एक-दूजे की जुबानी !
शरीर देकर परहित साधनेवाले की हम चर्म,
फिर क्यों आज भूले हम त्याग का महाकर्म ?
द्वेष, भौतिकता को त्यागे, मह्रिषी से रखे शर्म,
बढे कदम और परहित,परलाभ को माने धर्म !
हम देव विष्णु को हरानेवाले की संतान,
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