बुधवार, 25 नवंबर 2015

तुम

"तुम" पर कुछ पंक्तियाँ 
तुम मंच पर नहीं
----मन में बरसो !
तुम जन पर नहीं
----जंग में गरजो !
तुम चित्र में नहीं
-----चरित्र में सजों !
तुम काया पे नहीं
--मन की माया पर हर्षो !
तुम तस्वीर को नहीं,
----तक़दीर को तरसो !
तुम मोह-माया में नहीं
--आनन्द की छाया में बसो !!

सह रहा है "प्रथम प्रधान सेवक" वीर

कुछ लोग भारत में एकाएक डरने लगे है ! कुछ पुरस्कार वापस देना चाहते है ! तो मेरा कुछ ऐसा कहना है ! 
अतीत में सहे है हमने,
आतंक के हमले
घोटालों के जुमले
गंदगी, गुंडे व् चेले,
तब तो किसी ने नहीं लौटायें,
पुरस्कार के थैले !!

अब क्यों चला रहे है जहर के तीर,
'अतुल्य भारत' को किया गंभीर,
'सत्यमेव जयते' को दिया चीर,

बुधवार, 4 नवंबर 2015

कौनसे युग के दानियों से पाला पड़ा है



कौनसे युग के दानियों से पाला पड़ा है !
महल खड़े करे, देकर अपना नाम,
पर भूखे-बिलखते गरीबो से अंजान,
रोटीवाले पिंजरे को ताला जड़ा है !

कहने को अमीर सेवक महान
पर सब्जीवाले से कम करवाते दाम
करते अन्न भगवान किसान को नुकसान
समझ से परे ऐसे दानियों का काला धड़ा है !

हर गली में इंसान लूला-लंगड़ा है
पर अमीर सेवक तो, पर्चे में अपना नाम ढूंढने

यह सामान सज़ा है पर लजा है

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हर सामान सज़ा है 
आज के घरानों में, 
पर किस्तों व् किरायों से लजा है !

यह सामान,
आता है कुछ पल की,
खुशियाँ लेकर, 
देता है फिर कल की
हरपल फ़िकर ! 

यह सामान,
कुछ को भुलवा देता है
प्रियवर का प्यार,

गाय हलाल बवाल

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गाय माँ को बचाना है, तो भइया ये लागे बवाल है !
यहाँ तो बाघों की, कम होती गिनती का सवाल है !!
मांस खाने वालों में, बाघ मारने का साहस न देखा है !
तभी तो पापियों को, गाय को मारने का खयाल है !!
गधे, कुत्ते, बकरे, भेड़  खाने से तुम्हे कब रोका है !
या फिर इनको खा खाकर, तुम्हारे हाल बेहाल है !!
बाघ बचावों, कुत्ते पालो, ऐसे नारो को सुना व् देखा है !
तो फिर, गाय बचानी है नारे से क्यों मलाल है !!
जब हर मर्द में किसीने कभी पति  ना चाहा व् देखा है !
तो फिर, हर पशु को गाय से आंकना, संस्कारों का हलाल है !!