मस्त है भारत के रंगो की होली
बुरा ना मानना यह कहकर
कर देते है बुरा हाल हमजोली !
मनचले सिर्फ गुलाल के बहाने,
उड़ेल देते है कई रंगो की डोली,
डराएं सजे संवरो को ये रंगीलो वाली टोली !
कई रंग संग लिए हाथो में,
कर देते है तंग, रंग के भाभी भोली,
फिर चाहे लगे इन्हे गालियों की गोली !
मस्त है भारत के रंगो की होली,
ये एक ही दिन ऐसा है जब नारियाँ,
नहीं चमकाती चेहरा और न लगाती लाली !
मस्त है भारत के रंगो की होली,
पीकर भंग, चढ़ाके जोश उमंग,
मधु हो जाती है मर्दो की बोली !
मस्त है भारत के रंगो की होली,
ये एक ही दिन ऐसा है,
जब मर्दो की रंगो के बहाने,
भर जाती है मस्ती की झोली !
आनंद दाधीच "मंजुषा" (बेंगलौर)