प्रेरक माता और पीता श्री हरीप्रसाद एवं श्रीमति मंजूदेवी दाधीच को समर्पित !
अनुरोध- आओ हिन्दी भाषा को तकनीकी युग मे बढ़ाए !
शुक्रवार, 14 अगस्त 2015
काला रंग
कभी कभी काला रंग भी हो जाता है सुहाना, देखे नभ में जब मेघों के संग इसका घुल जाना, सुने जब कोयल की बोल में इसका गुनगुनाना, जब सजनी की चोटी में सिमट के इतराना, और उसकी अखियों में बसके हमें बनाये परवाना कभी कभी काला रंग भी हो जाता है सुहाना !
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